किसान चाची राजकुमारी देवी के संघर्ष से पद्मश्री तक का सफर पढ़ें
कहते है की कुछ अच्छा करने के लिए मेहनत और लगन की ज्यादा जरूरत होती है
कहते है की कुछ अच्छा करने के लिए मेहनत और लगन की ज्यादा जरूरत होती है और ऐसा साबित करने वाली महिला बिहार के मुजफरपुर जिले कि हैं और इस बार कृषि वाणी की टीम की मुलाकात पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किसान चाची के नाम से प्रसिद्ध है असली में इनका नाम राजकुमारी देवी है जो की आज भारत के कई महिलाओं के लिए प्रेरणाश्रोत बन गई है गांव गांव साइकल से घूमकर घूमकर अंचार पापड बेचना और कृषि का प्रशिक्षण देना एवं महिलाओं को जोड़ने से लेकर कई तरह के कार्यों से ये लोगों की मुरीद बन गई है आज किसान चाची के अंचार और मुरब्बे की धूम आपको कई कृषि मेले में देखने को मिल सकती है इस बार कृषि वाणी की टीम से किसान चाची की मुलाकात डॉ राजेंद्र कृषि विश्विद्यालय पूसा द्वारा आयोजित कृषि मेले में हुई और किसान चाची के अनुभवों के बारे में जाना
किसान चाची बनने के संघर्ष का सफर
राजकुमारी देवी किसान चाची का जन्म मध्यमवर्गीय शिक्षक के घर में हुआ था और पुराने ज़माने में जल्द ही शादी हो जाती थी इसलिए दसवीं पास होते ही 1974 में उनकी शादी किसान परिवार में अवधेश कुमार चौधरी से कर दी गई। शादी के बाद वह अपने परिवार के साथ मुजफ्फरपुर जिले के आनंदपुर गांव में रहने लगी। राजकुमारी देवी के मन में शुरू से ही कुछ अलग करने का लगन था ये टीचर बन शिक्षा से सभों को जोड़ना चाहती थी लेकिन पुराने समय में हालात ऐसे होते थे की समाज और घरवालों के विरोध के कारण वह ऐसा नहीं कर सकी और घर में परिवार की आर्थिक तंगी के कारण कृषि को लक्ष्य बना लिया और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
राज्यस्तरीय एवं केंद्र से सम्मान मिले
मात्र डेढ़ सौ रुपये से शुरू किया गया उनका कारोबार बढ़ता गया और इसका परिणाम आया कि बिहार सरकार ने राजकुमारी को वर्ष 2006-07 में ‘किसान श्री’ सम्मान से सम्मानित किया। और किसान चाची को सरैया कृषि विज्ञान केंद्र की सलाहकार समिति की सदस्य बना दिया गया । उनकी सफलता की कहानी पर केंद्र सरकार के कृषि विभाग द्वारा फिल्म का भी निर्माण कराया गया है। एक्टर अमिताभ बच्चन भी ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में किसान चाची की लगन और मेहनत के कायल हो चुके हैं।और किसान चाची को आर्थिक मदद दे कर उनके काम को आगे बढ़ाने में मदद कि |आज किसान चाची कई महिलाओं को अपने घर पर ही खेती और अचार बनाने का तरीका भी सिखा रही हैं।
स्वयं सहायता समूह बनाया
स्वयं सहायता समूह बनाया जिससे गांव कि महलाओं को जोड़ा और प्रशिक्षण दे कर कई उत्पाद जैसे अंचार ,पापड, मुरब्बा बनाने का कार्य शुरू किया ग्रामीण महिलाओं को कृषि का प्रशिक्षण दे कर कई प्रकार के कच्चेमाल का उत्पादन शुरू करवाया
किसान चाची आज भारत के कई महिलाओं एवं किसानों के लिए प्रेरणा श्रोत हैं जिन्होंने जमीन से सफर शुरू कर आज एक ऐसे मुकाम पर हैं जो भारत के किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़े सम्मान कि बात है कृषि वाणी आपको ऐसे ही सफल किसान के अनुभवों को लगातार साझा करता रहेगा अगर आपके पास भी कोई ऐसे महिला या पुरुष किसान कि जानकारी हो तो आप हमें भी कमें बॉक्स में अपना नंबर दे हमारी टीम आपसे संपर्क कर उनकी पूरी जानकारी ले कर प्रकाशित करेंगे व् भारत के सभी राज्यों तक पहुंचाएंगे
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