banana rust thrips: केले में थ्रिप्स के आक्रमण से बचाव का तरीका पढ़ें
केले में थ्रिप्स के आक्रमण से बचाव का तरीका पढ़ें
कृषि वाणी हमेशा आप तक कृषि से जुडी सभी महत्वपूर्ण समाचार उपलब्ध करते आ रहा है जिससे देश के सभी किसान भाइयों तक सही समय पर जानकारी उपलब्ध होने से अपने फसलों की सुरक्षा और अच्छा उत्पादन लेने का विशवास बढ़ा है तो केले की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए मुख्य फसल सुरक्षा से सम्बंधित जानकारी ले कर आएं है जिससे किसान भाई केले की खेती में होने वाले बीमारियों से पौधों का बचाव कर सकते है
बरसात के बाद वातावरण में अत्यधिक नमी की वजह से इस समय थ्रिप्स का आक्रमण कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। पहले यह कीट माइनर कीट माना जाता था। इससे कोई नुकसान कही से भी रिपोर्ट नही किया गया था । लेकिन विगत दो वर्ष से पूरे बिहार से इस कीट का आक्रमण देखा जा रहा है। पत्तियों के गब्हभे के अंदर थ्रिप्स पत्तियों को खाते रहते है एवं डंठल (पेटीओल्स ) की सतह पर विशिष्ट गहरे, वी-आकार के निशान दिखाई देते हैं। घौद में जब केला पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं तो थ्रिप्स के लक्षण जंग के रूप में दिखाई देते हैं। थ्रीप्स पत्तियों पर, फूलों पर एवं फलों पर नुकसान पहुंचाते है ,पत्तियों का थ्रिप्स (हेलियनोथ्रिप्स कडालीफिलस ) के खाने की वजह से पहले पीले धब्बे बनते है जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं और इस कीट की गंभीर अवस्था में प्रभावित पत्तियां सूख जाती हैं। इस कीट के वयस्क फलों में अंडे देते है एवं इस कीट के निम्फ फलों को खाते हैं। अंडा देने के निशान और खाने के धब्बे जंग लगे धब्बों में विकसित हो जाते हैं जिससे फल टूट जाते हैं। गर्मी के दिनों में इसका प्रकोप अधिक होता है। जंग के लक्षण पूर्ण विकसित गुच्छों में दिखाई देते हैं। पूवन, मोन्थन, सबा, ने पूवन और रस्थली (मालभोग)जैसे केलो में इसकी वजह से खेती बुरी तरह प्रभावित होता हैं। फूल के थ्रिप्स (थ्रिप्स हवाईयन्सिस ) वयस्क और निम्फ केला के पौधे में फूल निकलने से पहले फूलों के कोमल हिस्सों और फलों पर भोजन करती हैं और यह फूल
खिलने के दो सप्ताह तक भी बनी रहती है। वयस्क और निम्फल अवस्था में चूसने से फलों पर काले धब्बे बन जाते हैं,जिसकी वजह से बाजार मूल्य बहुत ही कम मिलता है,जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
थ्रीप्स को कैसे करें प्रबंधित ?
थ्रीप्स के प्रबंधन के लिए छिड़काव फूल निकलने के एक पखवाड़े के भीतर किया जाना चाहिए। जब फूल सीधी स्थिति में हो तो 2 मिली / लीटर पानी में इमिडाक्लोप्रिड के साथ फूल के डंठल में इंजेक्शन भी प्रभावी होता है। मिट्टी में थ्रिप्स प्यूपा को मारने के लिए, ब्यूवेरिया बेसियाना 1 मिली प्रति लीटर का तरल का छिड़काव करें। थ्रिप्स के संक्रमण को रोकने के लिए
विकसित हो रहे गुच्छे पॉलीप्रोपाइलीन से ढक दें । केला के बंच( गुच्छों),आभासी तना और सकर्स को क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी, 2.5 मिली प्रति लीटर का छिड़काव करना चाहिए ।
डॉ. एसके सिंह
प्रोफ़ेसर सह मुख्य वैज्ञानिक (पौधा रोग) एवं
विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी,
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा , समस्तीपुर बिहार
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