पशु पालक किसान भाइयों के लिए कृषि वाणी के टीम इस बार ख़ास खबर ले कर आए है कि देश में अब पशुधन गणना का समय आ गया है और पुरे भारत के सभी गांव में 21वीं पशुधन गणना 2024 में होनी है और इसे सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से सितंबर-दिसंबर, 2024 के दौरान मोबाइल प्रौद्योगिकी के उपयोग और डेटा को ऑनलाइन प्रसारित करने के साथ आयोजित किया जाएगा। यह गणना सभी गांवों और शहरी वार्डों में की जाएगी। घरों, घरेलू उद्यमों और गैर-घरेलू उद्यमों के पास मौजूद पशुओं की विभिन्न प्रजातियां (मवेशी, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा, ऊंट, कुत्ता, खरगोश और हाथी), पोल्ट्री पक्षी (मुर्गी, बत्तख और अन्य पोल्ट्री पक्षी) की गणना उनके रहने के स्थान पर, उम्र, लिंग और नस्ल के अनुसार की जाएगी।
इसके लिए पशुपालन एवं डेयरी सचिव अलका उपाध्याय ने 21वीं पशुधन गणना के प्रायोगिक सर्वेक्षण पर आयोजित कार्यशाला सह प्रशिक्षण को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया। 21वीं पशुगणना के प्रायोगिक सर्वेक्षण पर कार्यशाला सह प्रशिक्षण अरुणाचल प्रदेश के जीरो में पशुपालन विभाग, भारत सरकार के सलाहकार पशुपालन (सांख्यिकी), जगत हजारिका, की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इसमें राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी और 21वीं पशु गणना के लिए गठित तकनीकी समिति के कुछ सदस्य शामिल हुए।
आधुनिक तकनीक के सहयोग से इस बार चूंकि पशुओं का नस्लवार डेटा भी एकत्र किया जाएगा, इसलिए आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) ने विभिन्न प्रजातियों के लिए राज्यवार नवीनतम नस्ल सूची प्रस्तुत की और नस्ल की पहचान करने की तकनीक पर भी प्रकाश डाला है।पशुधन क्षेत्र के विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए पशुधन गणना से प्राप्त आंकड़ों के उपयोग के अलावा, इसका उपयोग सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क (एनआईएफ) के लिए भी किया जाता है।
इस अवसर पर पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार के सलाहकार (सांख्यिकी) जगत हजारिका, आईसीएआर-एनबीएजीआर के निदेशक बीपी मिश्रा, भारत सरकार के डीएएचडी के निदेशक वीपी सिंह, असम सरकार के निदेशक अनिल चंद्र देओरी, अरुणाचल प्रदेश सरकार, एएचवी और डीडी के निदेशक डॉ। दंजन लोंगरी, गुजरात सरकार की निदेशक डॉ। एफएस ठाकर, कर्नाटक सरकार के निदेशक डॉ। मंजूनाथ एस। पालेगर, उत्तर प्रदेश सरकार के निदेशक, आरएन सिंह, और आंध्र प्रदेश सरकार की जिला नोडल अधिकारी डॉ। हाना तामा और केंद्र व राज्य सरकारों के अन्य वरिष्ठ सदस्य उपस्थित थे।
पशुधन गणना योजना की पृष्ठभूमि
पशुपालन सांख्यिकी विभाग पशुपालन क्षेत्र में नीति निर्माण के साथ-साथ विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का मुख्य माध्यम है। पशुपालन सांख्यिकी का प्रमुख स्रोत पशुधन गणना (एलसी) है। पशुधन गणना एक विशाल डोर-टू-डोर फील्ड ऑपरेशन है जिसमें प्रत्येक घर से पशुधन संबंधी डेटा एकत्र किया जाता है और अंततः देश की कुल पशुधन संपदा का आकलन करने के लिए पालतू जानवरों और पक्षियों की वास्तविक गणना की जाती है। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार, का पशुपालन और डेयरी विभाग पशुपालन सांख्यिकी का निर्माण करने के लिए 1919 से हर 5 साल पर देश में पशुधन गणना करता है। पिछली पशुधन गणना यानी 20वीं पशुधन गणना 2019 में की गई थी।
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