उपराष्ट्रपति का देश के युवा किसानों और कृषि वैज्ञानिकों से सम्बोधन

किसानो और कृषि वैज्ञानिको को मिल कर ठोस तालमेल

भारत देश में कई ऐसी अद्भुत प्रतिभाएं हैं जिन्होंने अपने मेहनत से देश के मान सम्मान को हमेशा ऊँचा रखा है और ये बात भारत के साथ विश्व के कई देश भी जानते हैं ऐसे में कृषि का भी क्षेत्र अछूता नहीं है जहाँ कई युवा किसान आज कृषि में बुलंदियों को छू रहे हैं साथ ही पहले कि अपेक्षा कई गुना ज्यादा उत्पादन ले रहे हैं तो देश के युवाओं के इस जोश को देखते हुए उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी कृषि को लाभदायक बनाने के लिए कई आवश्यक सुधार कि बातों पर जोर दिया है साथ ही किसानो और कृषि वैज्ञानिको को मिल कर ठोस तालमेल और कृषि योजनओं के क्रियान्वयन के ऊपर जोर देने का आग्रह किया जिससे कृषि में रोजगार के अवसर भी सृजित हों देश के उपराष्ट्रपति ने युवाओं को ख़ास सम्बोधन देते हुए कहा कि युवा जिस तरह शहर से वापस लौट कर आज कृषि को अपना रहे हैं वः बहुत ही सराहनीय है जिससे आने वाले पीढ़ियों के लिए भी अच्छा सन्देश मिलेगा

उप राष्ट्रपति ने मुख्य सुझाव देते हुए कहा कि ४ पी(पार्लियामेंट,पोलिटिकल लीडर्स,पालिसी मेकर्स और प्रेस को भी मिल कर कृषि के लाभदायक बनाने के साथ एक क्रांतकारी शुरुआत आज के समय कि जरूरत है जिससे कृषि के विकास को स्थिर और लम्बे समय तक अच्छे से चलाया जा सके राष्ट्रपति ने इशारा करते हुए बताया कि देश के किसानों को हो रहे समस्या कि पहचान कि जाए साथ ही समय से पहले किसानों कि समस्याओं का समाधान किया जा सके मुख्य मुद्दे जो आज कृषि के उत्पादकता को प्रभावित कर रहे हैं जैसे कृषि उत्पादकता को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों जैसे कि कृषि उत्पादन के लिए घटते खेतों के आकार, मानसून पर निर्भरता, सिंचाई के लिए अपर्याप्त पहुंच और औपचारिक कृषि ऋण तक पहुंच की कमी जैसे अन्य मुद्दों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “इन कारकों के परिणामस्वरूप, कृषि को एक लाभदायक उद्यम के रूप में नहीं देखा जाता है”।

 

श्री नायडू ने कहा कि बहुत से लोग कृषि छोड़ रहे हैं और शहरी क्षेत्रों में पलायन कर रहे हैं क्योंकि इस पर लागत बढ़ रही है और बाजार में अपने उत्पाद को बेचने की परिस्थितियां प्रतिकूल हैं जिससे कि किसान को यह पेशा मुनाफेभरा नहीं लग रहा है।

इस संबंध में, उपराष्ट्रपति ने कृषि को अपनाने लायक बनाने के लिए शासन और संरचनात्मक सुधार जैसे दीर्घकालिक नीतिगत बदलावों का आह्वान किया। यह सुझाव देते हुए कि केंद्र और राज्यों को किसानों की मदद करनी चाहिए, उन्होंने सरकारों को कर्जमाफी से परे सोचने की सलाह दी। श्री नायडू ने कहा कि किसानों को समय पर किफायती ऋण के साथ-साथ बिजली, गोदाम, विपणन आदि की बुनियादी सुविधाएं दिए जाने की जरूरत है।

भारत में कृषि की स्थिति में सुधार कर सकने वाली अच्छी प्रथाओं को दर्शाते हुए, श्री नायडू ने सरकारों को किसानों को अपनी फसलों में विविधता लाने और कृषि में जोखिम को कम करने के लिए संबद्ध गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बदलते पैटर्न और प्राथमिकताओं के साथ, कृषि को अधिक लाभदायक बनाने के लिए जैविक खेती और खाद्य प्रसंस्करण को बड़े पैमाने पर लिया जा सकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि किसान उत्पादक संगठनों को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए ताकि किसान बड़ी तादाद में पैदावार कर लाभ उठा सकें और उनमें सौदेबाजी की शक्ति को बढ़ाया जा सके।

श्री नायडू ने कहा कि कई चुनौतियों के बावजूद, भारतीय किसानों की अंतर्निहित ताकत और क्षेत्र में हो रहे नवाचारों के कारण भारतीय कृषि प्रगति की ओर अग्रसर है। इस संदर्भ में, उपराष्ट्रपति ने कोविड-19 महामारी के दौरान भी रिकॉर्ड खाद्यान्न और बागवानी उत्पादन की उपलब्धि हासिल करने के लिए किसानों की सराहना की।

2022 तक किसान की आय को दोगुना करने के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि सरकार और नीति निर्माताओं ने अपने दृष्टिकोण को केवल उत्पादन और उत्पादकता पर सीमित न रखकर इसे किसान और किसान कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया था। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए, एक समग्र रणनीति परिकल्पना की गई थी और हाल के कृषि कानूनों समेत कई सुधार और कार्यक्रम पेश किए गए थे।

किसानों द्वारा उपज-जोखिम और मूल्य-जोखिम का सामना करने की समस्या का समाधान करने के महत्व पर जोर देते हुए श्री नायडू ने बुनियादी सड़क ढांचे, भंडारण और वेयरहाउसिंग सुविधाओं में सुधार, फसल विविधीकरण और भोजन प्रसंस्करण जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं की जरूरत को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ये पहल कृषि को अधिक अपनाने योग्य बनाएगी जिससे आय सृजन हो पाएगा।

फसल विविधीकरण के महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि देश में खपत पैटर्न में बदलाव आया है। पोषण के लिए अनाज पर निर्भरता कम हुई है और प्रोटीन की खपत बढ़ी है। इस संबंध में, उन्होंने किसानों को कम पानी और बिजली का उपयोग करने वाली फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

देश के उपराष्ट्रपति का युवाओं के लिए ये सबोधन आत्मविश्वास भरा है जिससे युवाओं के साथ किसानों को भी कृषि कार्यों में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा साथ ही रोजगार भी सृजित होंगे

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