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जरूर पढ़ें कैसे करें मोती की खेती

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दोस्तों पुरे विश्व में अगर साज शृंगार की अगर बात हो और उनमें गहनों का प्रयोग हो तो मोती का एक विशेष महत्त्व है जी हाँ मोती वही जो समुन्द्र के अंदर सीप में पाया जाता है ऐसे में मोती से बने गहने भि श्रृंगार सिंगार का महत्त्व बढ़ा देते हैं आपको आज हम ताजे पानी में मोती की खेती के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो मोती की खेती या व्यवसाय में रुचि रखनेवाले नए लोगों के लिए उपयोगी है। वास्तव में, मोती की खेती पानी में होनेवाला एक कठिन व्यवसाय है, खासकर अगर आप अभी शुरुआत करने जा रहे हैं। मोती की खेती में सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी बाजार में ऊंची कीमत मिल जाती है। इसके अलावा, इसका तैयार माल हल्का होता है और नष्ट नहीं होनेवाला होता है। ग्राफ्टिंग यानी कलम बांधने की बात को अगर छोड़ दिया जाए तो मोती की खेती या व्यवसाय अपेक्षाकृत आसान मत्स्यपालन व्यवसाय है उसमे कृत्रिम बीज की जरूरत नहीं होती है (खासकर जैसा कि समुद्रीय फसलों में होता है।)।
मोती को प्राकृतिक रत्न या जवाहर माना जाता है और जो सीप से पैदा किया जाता है। मोती हमारे पास उपलब्ध सबसे सुंदर रत्न है और यह उनकी जबर्दस्त सुंदरता ही है जिसकी वजह से वो पूरी दुनिया में इतना मशहूर है। ये मोती बाजार में अच्छे दामों में बिक जाते हैं। यहां सवाल उठता है कि ये मोती कहां से आते हैं? एक तरफ जहां प्राकृतिक मोती समुद्री जीव के कवच में पाए जाते हैं तो वहीं, कृत्रिम या संवर्धित मोती का निर्माण तब होता है जब शंबुक (एक प्रकार की कौड़ी) में सर्जरी कर नाभिक बनाया जाता है जिससे मोती के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होता है।
जब मोती के निर्माण की बात आती है तब आमतौर पर कोई भी खोलीदार सीप मोती पैदा कर सकती है, लेकिन वैसे सीप में जिसमे मोती जैसी रेखाएं होती हैं या शैल यानी खोली के आंतरिक भाग की सतह पर सीप चमकदार मोती को पैदा कर सकता है। यहां सवाल उठता है कि आखिर इन मोतियों का निर्माण कैसे होता है ? एक सामान्य जैविक प्रक्रिया में एक पराये शरीर में असमान्य प्रतिक्रिया होती है जो कि शैल यानी सीप का निर्माण एक खास ढांचे में करता है जिसमे मोती निर्माण कार्य का आधार तैयार रहता है। वास्तव में, आवरण की बाहरी उपकला कोशिकाएं एक उत्तक हैं जो मोती के सीप उत्पादन के लिए उत्तरदायी है। आवरण की बाहरी उपकला कोशिकाओं के उत्तक में जब बाहरी उत्तेजना (जैसे कि दूसरे कठोर शरीर में अचानक अकड़न) होती है तब दूसरे शरीर से मोती का उत्पादन शुरू हो जाता है। हम आंख मूंदकर कह सकते हैं कि, मोती कुछ नहीं है, बल्कि मुलायम खोलीदार सीप में स्थित कैल्सियम कार्बोनेट का निक्षेप यानी जमा हुआ एक पदार्थ है। हालांकि ताजे पानीमें मोती का उत्पादन अलग तरीके से होता है। अक्सर, ताजे पानी में मोती उत्पादन, शंबुक (एक प्रकार की कौड़ी) में सर्जरी से नाभिक बनाते हुए मौती तैयार करने की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
यहां फिर एक सवाल उठता है कि मोती उत्पादन में कितना वक्त लगता है ? तो इसका जवाब है कि यह शंबुक के प्रकार और मोती के बनने पर निर्भर करता है जिसमे कुछ महीनों से लेकर कई साल लग सकते हैं। मोती के उत्पादन में, प्राकृतिक मोती, समुद्री जल में पैदा हुए मोती और ताजे जल में पैदा हुए मोती शामिल हैं। आगे हम ‘ताजे जल में पैदा होने वाले मोती’ के बारे में चर्चा करेंगे।
मोती उत्पादक देशः-
चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण समुद्र, वियतनाम, भारत, यूएई, यूएसए, मैक्सिको, फिजी, फिलीपीन्स, फ्रांस, म्यांमार और इंडोनेशिया जैसे देश बड़े मोती उत्पादक राष्ट्र हैं।
भारतीय भाषा में मोतीः-
मोती (हिंदी), मुथ्यालु (तेलुगु), मुट्टुकल (मलयालम), मुट्टुगालु (कन्नड़), मुट्टुकुल (तमिल), मोती (गुजराती), मुकटो (बंगाली), मोती (मराठी)।
मोती उत्पादन में आरोपण (कलम लगाना) पद्धतिः-
आमतौर पर, ताजे जल में मोती उत्पादन का तरीका, किस तरह का मोती हम चाहते हैं और शंबुक की आंतरिक संरचना में किए गए सर्जरी पर निर्भर करता है। मोती उत्पादन की प्रक्रिया में शैल या शंख की मनका एक महत्वपूर्ण आगत हो सकता है। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सस्ता जैव-अनुरुप एक्रिलिक (तेजाब से बना हुआ) सामान का इस्तेमाल ताजे जल में मोती उत्पादन की प्रक्रिया के केंद्र में इस्तेमाल किया जा सकता है। एक मोती शंबुक (एक प्रकार की कौड़ी) का आकार शैल यानी सीप में 8 से 10 सेमी होता है और वजन में 50 ग्राम होता है और उससे अधिक मोती के निर्माण के लिए आदर्श होता है।
मोती उत्पादन की शुरुआत करने से पहले ध्यान देने योग्य बातें|मोती का उत्पादन शुरू करने से पहले निम्न तथ्यों और बिंदुओं पर ध्यान दें-
1. मोती उत्पादन के क्षेत्र में सफल होने के लिए पैसे, कठिन मेहनत और वक्त का लंबा निवेश चाहिए।
2. ज्यादा मुनाफे के लिए, उच्च गुणवत्ता वाले मोती का उत्पादन अहम है।
उच्च गुणवत्ता वाले मोती का उत्पादन निम्न आदर्श स्थितियों में हो सकता हैः-
1. मोतीवाला कस्तूरा का विश्वसनीय श्रोत होना चाहिए।
2. एक अनुकूल जगह या स्थान।
3. पर्याप्त कोष या निवेश हो ताकि मोती के फार्म को स्थापित और संचालित किया जा सके।
4. ग्राफ्टिंग तकनीशियन तक पहुंच हो।
5. सही तरीके से मोती का बाजार में वितरण ताकि सही दाम पर बिक सके।
अगर आप उपर में जिक्र किए गए किसी भी एक शर्त को पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं तो आपको जोखिम लेने की जगह व्यवसाय के दूसरे तरीके के बारे में सोचना चाहिए।
ताजा पानी में मोती उत्पादन के तरीकेः-
इसके तहत मुख्यतौर पर छह तरीके हैं जिसका जिक्र नीचे किया गया है-
मोती उत्पादन में एक शीप या शंबुक को जमा करना बतौर इस काम का हिस्सा, स्वस्थ यानी अच्छे शंबुक को तालाबों और नदियों के ताजे जल से जमा किया जाता है। इन शंबुकों को हाथ से इकट्ठा किया जाना चाहिए और इन्हें पानी सहित कंटेनर, बर्तन या बाल्टी में रखना चाहिए। इस बात की सलाह दी जाती है कि ताजे पानी में मोती उत्पादन 8 सेमी अगले और पिछले भाग जल का इस्तेमाल करें।
उत्पादन से पहले की स्थितिः-
शंबुक या शीप को जमा करने के बाद, उन्हें खेती पूर्व स्थिति के लिए तैयार करना चाहिए, इसके लिए शंबुक को दो से तीन दिन तक के लिए भीड़भाड़वाली स्थिति में बांध कर रखना चाहिए और प्रति शंबुक एक लीटर के घनत्व से उस पर नल का पानी डालना चाहिए। उत्पादन का यह पूर्व अनुकूलन तरीका सर्जरी के दौरान शंबुक को आसानी से संभाल लेती है।
सर्जरी के द्वारा मोती निर्माण में ग्राफ्ट और नाभिक या शंबुक का आरोपन जगह के हिसाब से इन सभी को तीन तरीके से हासिल किया जा सकता है।
मोती उत्पादन में गुफा(गुहा) उत्तक आरोपनः-
इस प्रक्रिया में, शंबुक को दो समूहों में बांटा जाना चाहिए, पहला, दाता शंबुक समूह और दूसरा, ग्रहणकर्ता शंबुक समूह। प्रक्रिया का हिस्सा होने के नाते, एक को ग्राफ्ट तैयार करना चाहिए जो कि आवरण उत्तक का छोटा सा हिस्सा होना चाहिए। इसे दाता शंबुक समूह से आवरण पट्टी तैयार किया जा सकता है और इसे 2 एमएम गुना 2 एमएम के छोटे टुकड़े में काट लेना चाहिए। आरोपन प्राप्तकर्ता शंबुक पर करना चाहिए, जो कि दो तरह का होता है, जैसे कि, ‘नाभिक रहित’ और ‘नाभिक सहित’। पहली वाली पद्धति में, केवल ग्राफ्ट यानी कलम के टुकड़े को खंड में लगाया जाता है जो बाद वाले पलियल आवरण के भीतर तैयार किया गया होता है, जहां नाभिकीय तरीके में, खंडों में यानी खांचों में एक कलम का टुकड़ा जो कि 2 एमएम व्यास के छोटे नाभिक के साथ स्थापित किया जाता है। दोनों ही मामलों में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कलम या नाभिक खांचे से बाहर ना आएं। आवरण फीता के दोनों वॉल्व्स में आरोपण किया जा सकता है।
मोती उत्पादन में गोनेडल यानी जननग्रन्थि संबंधी आरोपन
इस प्रक्रिया में, कलम की तैयारी आवरण उत्तक पद्धति में जिस तरह बताया गया है वैसा करना चाहिए। सबसे पहले, शंबुक के जननग्रन्थि के किनारे पर एक चीरा लगाएं। उसके बाद जननग्रन्थि में कलम को लगाना चाहिए और उसके बाद दो से चार एमएम व्यास के नाभिक में लगाना चाहिए ताकि नाभिक और कलम को पास में रखा जा सके। यह सुनिश्चित करें कि नाभिक कलम के बाहरी एपिथेलियल यानी वाहिका स्तर को छूता रहे और ध्यान रखना होगा कि सर्जरी की प्रक्रिया के दौरान आंत कटा हुआ नहीं हो।
मोती उत्पादन में शंबुक में शल्यचिकित्सा के बाद ध्यान रखना
आरोपित किए गए शंबुक को शल्यचिकित्सा के बाद के देखभाल कक्ष में जैसे कि नाइलोन के बैग में 10 से 11 दिनों के लिए रखना चाहिए जिसमे एंटीबायोटिक दवाओं का इलाज और प्राकृतिक भोजन शामिल होना चाहिए। इन सभी इकाईयों की जांच प्रतिदिन होनी चाहिए ताकि कोई भी मृत शंबुक को निकाला जा सके और उसे भी जो नाभिक को नकार देता है।
तालाब के ताजे पानी में मोती का उत्पादन
शल्यचिकित्सा के बाद देखभाल के बाद, आरोपित शंबुक को तालाब में संग्रहित करना चाहिए। शंबुक को नाइलोन के बैग में रखना चाहिए, आमतौर पर एक बैग में दो शंबुक को रखना चाहिए और उसे बांस की छड़ी या पीवीसी पाइप से लटका देना चाहिए और तालाब में एक मीटर की गहराई में लगा देना चाहिए। शंबुक की खेती या उत्पादन प्रति हेक्टेयर 25,000 से 30,000 संग्रहण घनत्व के मुताबिक चाहिए। तालाब में जैविक और अकार्बनिक खाद समय-समय पर डाला जाना चाहिए ताकि प्लवक की उत्पादकता बरकरार रह सके। समय-समय पर शंबुक की जांच होती रहनी चाहिए ताकि मृत शंबुक हैं उन्हें निकाला जा सके और साथ ही उत्पादन के 12 से 20 महीने के दौरान बैग की सफाई भी होती रहनी चाहिए। जब बात शंबुक के खानपान की आती है तो उन्हें आमतौर पर शैवाल, गोबर और मूंगफली दिया जाता है।
शंबुक और मोती के तैयार होने का वक्तः-
फसल यानी उत्पादन का दौर खत्म होने पर, शंबुक को निकाल लिया जाता है। व्यक्तिगत मोती को जिंदा शंबुक के आवरण उत्तक या जननग्रन्थि से बाहर निकाल लिया जाता है। हालांकि, शंबुक का बलिदान आवरण गुफा पद्धति की स्थिति में किया जाता है।
तैयार किया गया मोतीः-
अलग-अलग सर्जिकल आरोपन पद्धति के जरिए प्राप्त किये गये उत्पाद निम्न हैं-
आवरण गुफा पद्धति में आधा गोला सीप और सीप से जुड़ा मोती।
आवरण गुफा पद्धति में स्वतंत्र, छोटा, अनियमित या गोल मोती।
जननग्रंथि पद्धति में स्वतंत्र, बड़ा, अनियमित या गोल मोती।

दोस्तों आप गांव  एक्सप्रेस के ब्लॉग से जुड़े रहें जिससे आपको हम अपने अगले जानकारी में मोती की खेती करवाने वाले संस्थान के बारे में बताएँगे जिससे आप भी प्रशिक्षण ले कर मोती की खेती कर सकते हैं अतः आपसे अनुरूष है की आप हमारे दवा प्रकाशित इस जानकारी को अन्य किसान भाइयों तक शेयर कर जरूर पहुंचाएं जिससे उनका मार्गदर्शन हो सके 

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