कृषि वाणी के पिछले समाचार में आपको हमने जंगली हाथियों को भगाने के लिए शुरू किए गए प्रोजेक्ट री-हैब के बारे में बताया था आज हम उसकी सफलता के बारे में बता रहे हैं सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम-एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की अभिनव परियोजना आरई-एचएबी की सराहना की है। इस परियोजना के लागू होने से कर्नाटक के कोडागू जिले में चार स्थानों पर हाथियों की उपस्थिति काफी कम हो गई है। श्री गडकरी ने कहा कि परियोजना के लागू होने से कोडागू में मानव क्षेत्रों में हाथियों के आवागमन को रोकने में बहुत उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि आरई-एचएबी परियोजना में बहुत अधिक संभावनाएं हैं और इसे जल्द ही पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, तमिलनाडु और केरल जैसे हाथियों के हमलों से प्रभावित सभी राज्यों में लागू किया जाएगा। उन्होंने देश भर में परियोजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कृषि और पर्यावरण तथा वन मंत्रालयों की भागीदारी पर भी जोर दिया।
कर्नाटक के कोडागू जिले के नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान की परिधि में चार स्थानों पर आरई-एचएबी (मधुमक्खियों का उपयोग कर मानव पर हाथियों के हमले कम करना) परियोजना का शुभारंभ केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना द्वारा पिछले महीने किया गया। यह हाथियों और मानव के बीच के संघर्ष को रोकने का एक अनूठा, लागत प्रभावी तरीका है। इससे जानवरों और मनुष्यों दोनों को कोई नुकसान नहीं होता। इस परियोजना के तहत, मधुमक्खियों के बक्सों को हाथियों को मानव बस्ती में प्रवेश करने से रोकने के लिए बाड़ के रूप में उपयोग किया जाता है| इस प्रकार जान और माल की हानि को कम किया जाता है। साथ ही, हाथियों को लगता है कि मधुमक्खियां उनकी आंखों और सूंड के अंदरूनी हिस्से में प्रवेश कर सकती हैं। इस तरह मधुमक्खियों का झुंड हाथियों को सबसे ज्यादा परेशान करता है।
मधुमक्खियों की बाड़ ने इन इलाकों में हाथियों की आवाजाही को काफी हद तक कम कर दिया है। इन स्थानों पर लगाए गए नाइट विज़न कैमरों ने मधुमक्खी के बक्सों को देखकर हाथियों के व्यवहार में बदलाव की अद्भुत तस्वीरें खींची हैं। कई हाथियों को मधुमक्खियों के डर से जंगलों में वापस लौटते हुए देखा गया है। इसके अलावा, इन क्षेत्रों में हाथियों द्वारा फसलों या संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है क्योंकि मधुमक्खी के बक्से को हाथियों के मार्ग पर रखा गया है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष श्री विनय सक्सेना ने कहा कि आरई-एचएबी को अन्य राज्यों में लागू करने से सैकड़ों मानव और हाथी जीवन बचेंगे। उन्होंने कहा कि “केवीआईसी अन्य राज्यों में भी इस परियोजना को दोहराने के लिए तैयार है, जहां जंगली हाथियों के खतरे के कारण एक बड़ी आदिवासी और ग्रामीण आबादी रह रही है। प्रोजेक्ट आरई-एचएबी में मानव-हाथी संघर्ष को कम करने, मधुमक्खी पालन के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान करने और वन क्षेत्र में वृद्धि करने के लिए बहु-आयामी लाभकारी सुविधाएं प्राप्त होंगी।”
पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य प्रमुख रूप से हाथी – मानव संघर्ष वाले क्षेत्र हैं जहां केवीआईसी चरणबद्ध तरीके से आरई-एचएबी परियोजना को लागू करने की योजना बना रहे हैं। 2015 से देश भर में जंगली हाथियों के साथ संघर्ष में लगभग 2400 लोग मारे गए हैं।
केवीआईसी के अध्यक्ष ने कहा कि इस परियोजना के माध्यम से, इन क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा और मधुमक्खियों के बक्से प्रदान किए जाएंगे जो जंगली हाथियों को भगाने के लिए उपयोग किए जाएंगे।
प्रमुख परियोजना के अंतर्गत चार स्थानों पर हाथियों के आने-जाने का क्रम
- 01.03.21 –09.03.21 – हाथियों की दैनिक आवाजाही लेकिन मानव क्षेत्रों में प्रवेश नहीं
- 10.03.2021 – 15.03.2021 – हाथियों की कोई आवाजाही नहीं
- 16.03.2021 – हाथियों के आने-जाने का पता चला लेकिन मानव क्षेत्र में प्रवेश नहीं
- 17.03.2021 – 25.03.2021 – हाथियों के आने-जाने की कोई खबर नहीं
- 26.03.2021 – हाथियों के आने-जाने का पता चला। मधुमक्खियों के बक्से को देखकर हाथी जल्दी वापस लौटते हैं
- 27.03.2021 – 29.03.2021 – हाथियों का कोई आना-जाना नहीं
- 30.03.2021 – हाथियों के आने-जाने का पता चला। हाथी मधुमक्खियों की उपस्थिति को महसूस करते हैं और जल्दी से वापस लौट आते हैं
राज्यवार मनुष्यों की मृत्यु (2014-15 से 2018-19 तक)
राज्य | मृत्यु |
पश्चिम बंगाल | 403 |
ओडिशा | 397 |
झारखंड | 349 |
असम | 332 |
छत्तीसगढ़ | 289 |
कर्नाटक | 170 |
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