भारत फॉस्फेटिक उर्वरकों के मामले में बनेगा आत्मनिर्भर
भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार कार्य योजना के साथ तैयार
रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने फॉस्फेटिक उर्वरकों (डीएपी व एनपीके) की उपलब्धता में सुधार और उर्वरकों के मामले में भारत को वास्तविक आत्मनिर्भर बनाकर आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए उर्वरक विभाग के अधिकारियों व हितधारकों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर मांडविया ने कहा, “मुझे खुशी है कि उर्वरक विभाग रॉक फॉस्फेट के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक कार्य योजना के साथ तैयार है। यह डीएपी और एनपीके का मुख्य कच्चा माल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वाहन का अनुपालन करके भारत निश्चित रूप से आने वाले समय में उर्वरकों के मामले में आत्मनिर्भरता को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।”
स्वदेशी संसाधनों के जरिए भारत को उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य योजना बनाई गई है। मंडाविया ने राजस्थान, प्रायद्वीपीय भारत के मध्य भाग, हीरापुर (मध्य प्रदेश), ललितपुर (उत्तर प्रदेश), मसूरी सिंकलाइन, कडप्पा बेसिन (आंध्र प्रदेश) में उपलब्ध मौजूदा 30 लाख मीट्रिक टन फॉस्फोराइट का व्यावसायिक रूप से दोहन करने और उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया। राजस्थान के सतीपुरा, भरूसारी व लखासर और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में संभावित पोटाश अयस्क संसाधनों की खोज में तेजी लाने के लिए खनन विभाग और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के साथ चर्चा और योजना चल रही है।
संभावित भंडारों का खनन जल्द से जल्द शुरू करने के लिए सभी विभाग संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। इस कार्य योजना में विदेशों से आयातित महंगे कच्चे माल की आयात निर्भरता को कम करने और इसे किसानों के लिए सुलभ व सस्ता बनाने के कदम शामिल हैं। रॉक फॉस्फेट डीएपी और एनपीके उर्वरकों के लिए प्रमुख कच्चा माल है और इसके लिए भारत 90 फीसदी आयात पर निर्भर है। इसके अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में अस्थिरता उर्वरकों की घरेलू कीमतों को प्रभावित करती है और देश में कृषि क्षेत्र की प्रगति और विकास में बाधा डालती है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए ही मंडाविया ने भारत में उपलब्ध रॉक फॉस्फेट भंडार की खोज और खनन में तेजी लाने के लिए हितधारकों के साथ एक बैठक बुलाई थी।
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