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हजारों जानवरों के लिए जंगल बसा दिया अरण्य मानव ने

कई पशुओं के जीवन दाता ने बिना किसी मदद के लिए जंगल बसा दिया

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कृषि वाणी आज आपको एक ऐसे खास सफल इंसान के बारे में बताने जा रहा जिसने कभी बर्गर कि तसवीर नही देखी न पिज्जा का स्वाद जाना न रिबॉक के जुते न ही लिवाइस की जीन्स पहना न कभी मेट्रो के सफर को जाना और जंगल में रह कर दिन गुजारे फिर भी भारत के सबसे खास इंसान बन गए जी हां वो खास इंसान है भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित आसाम के जंगलों में रहने वाले जाधव पियेंग ये वो खास इंसान हैं जिन्होंने खुद कई नुकसान सह कर भी खुद के आत्मविश्वास को जिंदा रखा और न कभी किसी भी कमी की परवाह की बस सिर्फ एक धुन सवार थी जो आज जंगलों में रहने वाले कई पशुओं के जीवन दाता बन गए जाधव ने बिना किसी मदद के खुद से हर कार्य का निर्वहन किया जो आज कइयो के लिए प्रेरणा स्रोत है


आपको उनके द्वारा किये गए कार्यों के बारे में बता रहे जिन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा लाये गए पथरीले मलबे,मिट्टी,रेत ले कर आती है जिससे नदी की गहराई कम हो जाती है साथ ही नदी के नजदीक गांव के मिट्टी को भी अपने साथ काट कर ले जाती है जिससे हर साल कई पेड़ पौधे,खेत,पशु को अपने साथ बहा ले जाती है और जब बाढ़ का पानी उतरता तो पूरी जगह रेगिस्तान के जैसी वीरान लगने लगती थी एक दिन 1979 में जाधव पियेंग नदी के तट पर घूम रहे थे अचानक उनकी नजर कुछ मरे हुए साँपो के गुच्छे पर पड़ी तो वे चौंक गए फिर जैसे जैसे वो आगे बढ़ते गए तो उन्हें कई जानवर नदी द्वारा लाये गए मिट्टी व मलबों में दब कर मरे मिले ये दशा देख कर जाधव का मन डोल गया साथ ही पीड़ा से भर गया जानवरों की यह दुर्दशा उनसे देखी नही जा रही थी

बार बार मन कचोटने लगता था की उन जानवरों के लिए कुछ करना है जिससे उनका जीवन भी हम इंसानों के तरह सुरक्षित हो बस यही एक फैसले ने उनके जीवन के लक्ष्य को बदल दिया और जाधव लग गए खुद से परिवर्तन करने में इसके लिए उन्होने 50 बीज और 25 बॉस के पेड़ लिए 16 साल का जाधव पहुंच गया नदी के रेतीले किनारे पर रोपने | ये बात आज से लगभग 37 साल पुरानी है |एक उस दिन का दिन था और आज का दिन क्या आप कल्पना कर सकते है की इन 37 सालो में जाधव ने 1360 एकड़ का जंगल बिना किसी सरकारी मदद के लगा डाला | क्या आप भरोसा करेंगे के एक अकेले आदमी के लगाये जंगल में 5 बंगाल टाइगर ,100 से ज्यादा हिरन ,जंगली सुवर 150 जंगली हाथियों का झुण्ड , गेंडे और अनेक जंगली पशु घूम रहे है, अरे हाँ सांप भी जिससे इस अद्भुत नायक को जन्म दिया | जंगलो का क्षेत्रफल बढाने सुबह 9 बजे से पांच किलोमीटर साइकल से जाने के बाद ,नदी पार करते और दूसरी तरफ वृक्षारोपण कर फिर सांझ ढले नदी पार कर साइकल 5 किलोमीटर तय कर घर पहुँचते | इनके लगाये पेड़ो में कटहल ,गुलमोहर ,अन्नानाश ,बांस , साल , सागौन , सीताफल, आम ,बरगद , शहतूत ,जामुन, आडू और कई औषधीय पौधे है |लेकिन सबसे आश्चर्यजनक और दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि इस असम्भव को सत्य कर दिखाने वाले साधक से महज़ पांच साल पहले तक देश अनजान था | ये लौहपुरुष अपने धुन में अकेला आसाम के जंगलो में साइकल में पौधो से भरा एक थैला लिए अपने बनाए जंगल में गुमनाम सफर कर रहा था |

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सबसे पहले वर्ष 2010 में देश की नजर में आये जब वाइल्ड फोटोग्राफर “जीतू कलिता” ने इन पर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई “the molai forest” | यह फिल्म देश के नामी विश्वविद्यालयों में दिखाई गयी | दूसरी फिल्म आरती श्रीवास्तव की “foresting life” जिसमे जाधव की जिन्दगी के अनछुवे पहलुओं और परेशानियों को दिखाया | तीसरी फिल्म “forest man” जो विदेशी फिल्म महोत्सव में भी काफी सराही गयी | एक अकेला व्यक्ति वन विभाग की मदद के बिना , किसी सरकारी आर्थिक सहायता के बगैर इतने पिछड़े इलाके से कि जिसके पास पहचान पत्र के रूप “राशन कार्ड” तक नही है ने हज़ारो एकड़ में फैला पूरा जंगल खड़ा कर दिया | जानने वाले सकते में आ गए उनके नाम पर आसाम के इन जंगलो को “मिशिंग जंगल” कहते है { जाधव आसाम की मिशिंग जनजाति से है} | जीवन यापन करने के लिए इन्होने गाये पाल रखी है | शेरो द्वारा आजीविका के साधन उनके पालतू पशुओं को खा जाने के बाद भी जंगली जानवरों के प्रति इनकी करुणा कम न हुई | शेरो ने मेरा नुकसान किया क्योकि वो अपनी भूख मिटाने खेती करना नही जानते | आप जंगल नष्ट करोगे वो आपको नष्ट करेंगे | एक साल पहले महामहिम “राष्ट्रपति” द्वारा देश के चतुर्थ सर्वोच्च नागरिक सम्मान “पद्मश्री” से अलंकृत होने वाले जाधव आज भी आसाम में बांस के बने एक कमरे के छोटे से कच्चे झोपड़े में अपनी पुरानी में दिनचर्या लीन है | तमाम सरकारी प्रयासों , वक्षारोपण के नाम पर लाखो रुपये के पौधों की खरीदी करके भी ये पर्यावरण , वनविभाग वो मुकाम हासिल न कर पाये जो एक अकेले की इच्छाशक्ति ने कर दिखाया । साइकल पर जंगली पगडंडीयों में पौधो से भरे झोले और कुदाल के साथ हरी भरी प्रकृति की अनवरत साधना में ये निस्वार्थ पुजारी | ढेर शुभकामनाये जाधव जी आपने अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता कहावत गलत साबित कर दी अब तो हम कहेंगे “ अकेला चना भाड़ फोड़ सकता है |हम कृषि वाणी आपसे अनुरोध करते है कि पर्यावरण के लिए असीम स्नेह से भीगी इस इस सार्थक , अनोखी कहानी को दूसरो तक भी पहुंचा कर सजग बनाए
आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी जिसे आप पुरे देश के लोगों तक पहुंचना चाहते हैं तो हमें कमेंट बॉक्स मेन मेसेज करें कृषि वाणी की टीम जल्द ही आपसे संपर्क करेगी

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