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तालाब के गंदे जल को साफ़ करने का रामबाण बना जलकुम्भी

गंदे जल को शुद्ध करने की सबसे सस्ती तकनीक

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दोस्तों इस बार कृषि वाणी आपके लिए ले कर आये हैं बहुत हि अनूठी खबर जी हाँ जिस जलकुम्भी को हम खरपतवार के रूप में देखते थे आज वही सबसे अच्छा विकल्प के रूप में सामने आया है जिससे वैज्ञानिक तालाब में जमा गंदे जल कि सफाई अच्छे से कर पा रहे हैं ऐसा कर दिखाया है पुडुचेरी विश्विद्यालय में पोलुशन कंट्रोल एन्ड एनवायरनमेंट इंजिनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर एस ए अब्बासी ने तालाब के गंदे जल को शुद्ध करने की सबसे सस्ती तकनीक खोजी है आपको बता दें की जलकुम्भी बहुत ही तेजी से फैलती है और यह जल को बहुत ज्यादा मात्रा में अवशोषित करती है पर जलकुम्भी की चार प्रजाति ऐसी है जो पानी को कम सोखती है और उस पानी में गंदगी को साफ़ कर देती है और उन प्रजातियों के नाम निम्नलिखित है पिस्टिया, सल्वानिया , टारो कोलसोसिस , मिसिलिया जो प्रायः सभी जगह पाई जाती है प्रोफेसर ने इसकी शुरुआत अपने गांव से ही की और इसके परिणाम आश्चर्यजनक रहे उसके बाद उन्होंने वरिष्ठ अधिकारीयों की मदद से एवं केंद्रीय विज्ञानं एवं तकनिकी मंत्रालय के द्वारा 2011 में इसका पेटेंट भी करवा लिया था अब कुछ राज्यों में इस योजना के अनुसार मनरेगा के माध्यम से कार्य शुरू किया गया है

हाल ही में सीडीओ मुरादाबाद आनंद वर्द्धन ने गांव फरीदपुर भेंडी में सस्ता और इको फ्रेंडली ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का काम शुरू हो गया है जिसके माध्यम से ऊपर डी गई जलकुम्भी की चार प्रजातियां मात्र आठ घंटे में तालाब के गंदे जल को अपने अंदर सोख लेंगी साथ ही तालाब के जल की सफाई भी हो जाएगी उसके बाद साफ जल से सिंचाई और मछली पालन में प्रयोग किया जाएगा
सीडीओ के माध्यम से शुरू की गई इस योजना को कच्चे तौर पर तैयार कर रहे हैं उन्होंने तालाब के पास एक टैंक बनवाया है जिसमें मिटटी के कट्टों से किनारा दिया गया है और पानी को इसकठा काने के लिए चैंबर भी बनाया गया है उसके चारो तरफ पॉलीथिन लगाई गई है चैंबर में जब गन्दा जल भर जाएगा उसके बाद उसमें पिस्टिया जलकुम्भी डाली जायेगी जिसके बाद मात्र आठ घंटे में जल के सभी हानिकारक तत्वों को पौधा अपने अंदर सोख लेगा और शेष बचे जल को बहार निकल कर अलग से प्रयोग में लाया जा सकता है अभी तो सिलहल इसकी शुरुआत है आपको हम कृषि वाणी अपने आने वाले अंक में इसके बारे में आपको विस्तार से बताएंगे

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