जिप्सम का मतलब है कैल्शियम सल्फेट। यह एक अच्छे प्रकार का मृदा संशोधक है। खराब मिट्टी की सुधार और फसलों की वृद्धि के लिए जिप्सम बहुत उपयोगी है। जिप्सम को साल में एक बार 200 से 300 किलो प्रति एकड़ मिट्टी में डालना चाहिए जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। जिप्सम एक भूमि सुधारक उर्वरक है, जिसमें सल्फर (S) 18.6%, कैल्शियम (Ca) 23.3%, कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) और जिप्सम की शुद्धता 76% होती है। इसका उपयोग जमीन के सुधार के लिए किया जाता है।
जिससे खराब मिट्टी उत्तम मिट्टी में परिवर्तित हो जाती है।
जिप्सम से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
जिप्सम मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है।
मिट्टी ढीली हो जाती है।
मिट्टी की संरचना में बदलाव में मदद करता है।
खारे मिट्टी में सोडियम खारों के कण जिप्सम से निकल जाते हैं, जिससे वे बाहर फेंके जाते हैं और मिट्टी सुधारती है।
बीजों का अंकुरण अच्छा होता है।
पानी से निकलने वाले खार जिप्सम से कम हो जाते हैं।
मिट्टी की तपन कम होती है।
पानी की निकासी होती है और मिट्टी दलदली नहीं होती है।
मिट्टी में कैल्शियम – मैग्नीशियम का अनुपात सुधरता है।
जैविक पदार्थ जल्दी खराब होते हैं।
जिप्सम से फसलों की पोषक तत्व अवशोषण क्षमता बढ़ती है।
जिप्सम से फलों की गुणवत्ता में सुधार होता है।
जिप्सम (कैल्शियम सल्फेट)
फसल की कैल्शियम और सल्फर की जरूरत पूरी होती है।
पौधों का एक समान विकास और उनकी ग्रोथ होती है।
जिप्सम में सल्फर के होने के कारण फसलों पर रोगों का नियंत्रण होता है।
तेल वर्गीय फसलों में तेल की मात्रा बढ़ाने में जिप्सम का बहुत फायदा होता है।
जमीन में जिप्सम का उपयोग करने से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, और सल्फर की मात्रा बढ़ती है, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है।
जमीन में जिप्सम का उपयोग करने से पानी की ड्रेनेज और परिवहन की क्षमता बढ़ती है।मिट्टी के पीएच स्तर को नियंत्रित रखने में उसकी मदद करता है। रासायनिक रूप से जिप्सम कैल्शियम सल्फेट है। इसमें 23.3 प्रतिशत कैल्शियम और 18.5 प्रतिशत सल्फर होता है। पानी में घुलने के बाद जिप्सम खेतों को कैल्शियम और सल्फेट मुहैया कराता है। तुलनात्मक रूप से कुछ अधिक धनात्मक होने के कारण कैल्शियम के आयन मृदा में विद्यमान विनिमय सोडियम के आयनों को हटाकर उनका स्थान ग्रहण कर लेते है।
जिप्सम के लाभ,
–फसलों में जड़ों की सामान्य वृद्धि और विकास में सहायता देता है। -फसल संरक्षण में भी उपयोग, इसमें सल्फर उचित मात्रा में होता है। -तिलहनी फसलों में जिप्सम डालने से सल्फर की पूर्ति होती है, जो बीज उत्पादन, पौधे, तेल से आने वाली विशेष गंध के लिए उत्तरदायी होता है।
-जिप्सम कैल्शियम का एक मुख्य स्रोत है, जो कार्बनिक पदार्थो को मृदा के क्ले कणों से बांधता है जिससे मृदा कणों में स्थिरता प्रदान होती है। मृदा में वायु का आवागमन सुगम बना रहता है। -मृदा में कठोर परत बनने से रोकता है, मृदा में जल प्रवेश को बढ़ाता है।
“जिप्सम – फायदे पढ़ कर हैरान हो जाओगे ।”
:-कैल्शियम होने के बावजूद यह ph को कम करता है क्यूँ कि calcium ज़मीन में फिक्स नहीं होता ।
: यह ज़मीन के कार्बोनिक पदार्थ के साथ मिलकर ज़मीन की porosity (ज़मीन को भूरभरी ,फोसरी ) बढाता है जिसकी वजह से पौधे की जड़ ज्यादा गहराई तक जाती है और उत्पादन बढ़ता है।
:- यह पौधे को शुरुआत से ही मजबूती देता हैं जिसके कारण रसचुसक किट कम आते हैं |
:- इसके डालने के बाद पौधा जल्दी जल्दी पोषक तत्व ग्रहण करता है।
:- तेल वाली फ़सलो में तेल की मात्रा के साथ साथ उत्पादन भी बढाता ।
:-यह ज़मीन की क्षारियता को कम करने का काम भी करता है।
*:- देने का तरीका – बरसात के समय सबसे अच्छा काम करता हैं, जिप्सम डालने के बाद ऊपर से बरसात हो जाएं तो सोने पे सुहागा