केरल के दूर दराज के गांव इडुक्की में रहने वाले साजी थॉमस को लोग बचपन से गधा, बेवकूफ आदि कहकर पुकारते थे. थॉमस बोलने और सुनने में असमर्थ हैं. लेकिन हर बच्चे की तरह उनके भी सपने थे. वे बचपन से अपना विमान बनाना चाहते थे. लेकिन इसके लिए जरूरी स्कूली शिक्षा वे पूरी न कर सके. इसके बावजूद थॉमस विमान बनाने की कोशिश करते रहे, आस पड़ोस के लोगों को उनकी दीवानगी बेवकूफी लगती रही. वे थॉमस को तानों के अलावा और कुछ न दे सके.
असल में 15 साल की उम्र में थॉमस ने एक छोटे विमान को खेतों पर दवा छिड़कते देखा. तभी से वे विमान के दीवाने हो गए. वे छिड़काव करने वाले पायलट के पास गए. पायलट ने उन्हें अपना मुंबई का पता दे दिया. कुछ महीनों बाद थॉमस घर से भागकर मुंबई पहुंच गए. उन्होंने पायलट को खोज लिया. बच्चे की जिज्ञासा देखकर पालयट भी हैरान हुआ, उसने थॉमस को एयरोडायनैमिक्स की कुछ सामग्री और नौकरी दी.
इसके बाद तीन दशक तक कड़ी मेहनत हुई. थॉमस ने अपनी बहुत छोटी जमीन भी बेच दी. उन्होंने पहले एक विमान का ढांचा बनाया. दूसरी बार उन्होंने विमान में मोटरसाइकिल का इंजन लगाया, यह प्रयोग नाकाम साबित हुआ. फिर एक इंजीनियरिंग कॉलेज को दूसरे एयरक्राफ्ट का मॉडल बेचने के बाद थॉमस को कुछ पैसा मिला. इससे उन्होंने एयरक्राफ्ट इंजन खरीदा. एक तरफ सपने की दौड़ जारी थी तो दूसरी तरफ थॉमस कभी रबर फार्म में तो कभी इलेक्ट्रिशियन और फोटोग्राफर के तौर पर काम करते, ताकि घर बार चल सके.
एक मौका ऐसा भी आया जब थॉमस हिम्मत हारते दिखने लगे. तभी तिरुअनंतपुरम में रहने वाले भारतीय वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर एसकेजे नायर ने थॉमस की मदद की. आखिकार साजी ने उड़ने वाला दो सीटों वाला एक बहुत हल्का विमान बना लिया. परीक्षण उड़ान की अनुमति दिलाने और बाकी का इंतजाम नायर ने पूरा किया. इस तरह थॉमस के विमान ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी. उनके अल्ट्रालाइट विमान का नाम साजी एक्स एयर-एस है.
अब थॉमस नागरिक उड्डयन मंत्रालय महानिदेशालय से लाइसेंस चाहते हैं. बचपन में मजाक झेलने वाला शख्स दो इंजन वाल एयरक्राफ्ट बनाना चाहता है. किसी अच्छी कंपनी में वे एयरोनॉटिकल मैकेनिक की नौकरी भी करना चाहते हैं.