भारत में कृषि और किसानों को बढ़ावा देने के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा कई ऐसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं उनमें से एफपीओ द्वारा सबसे मुख्य योजना से देश के किसानों का समूह तैयार किया जा रहा है और हाल ही में इस योजना के एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष में प्रथम वर्षगांठ का आयोजन किया गया इस अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि 10 हजार एफपीओ का बनने वाला परिवार खेती-किसानी को तो आगे बढ़ाएंगा ही, व्यावसायिक रूप के साथ-साथ देश में सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। रूपाला ने कहा कि कृषि उपज/उत्पाद स्पेसिफिक एफपीओ बनने से किसानों को और भी ज्यादा लाभ होगा। अभी छोटी जोत की समस्या है, लेकिन एफपीओ बनने से किसान समूहों के रूप में संगठित होंगे तो वे एक बड़ी ताकत होंगे और यह संगठन शक्ति कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाएंगी। समारोह में कार्यक्रम में सीईओ, निदेशक मंडल, एफपीओ के लेखाकारों के लिए डिज़ाइन और विकसित किए गए व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्घाटन किया गया, जिनमें एफपीओ व सीबीबीओ की क्षमता निर्माण एवं कौशल विकास के लिए उनके द्वारा प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात का विकास करना शामिल है। नए एफपीओ के लिए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाण-पत्र का वितरण भी किया गया। कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल व नाबार्ड के चेयरमैन डा. जी.आर. चिंतला ने भी संबोधित किया। कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री अभिलाक्ष लिखी तथा संयुक्त सचिव श्री पी.के. स्वाईं सहित अनेक अधिकारी उपस्थित थे। देशभर के एफपीओ के पदाधिकारी, सदस्य तथा एजेंसियों के अधिकारी भी आनलाइन शामिल हुए। लघु, सीमांत एवं भूमिहीन किसानों को, एफपीओ से जोड़ने से किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए उनकी आर्थिक क्षमता एवं बाजार संपर्क बढ़ाने में सहायता मिलेगी। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने “10,000 एफपीओ के गठन एवं संवर्धन” नामक स्कीम आरंभ की है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 29 फरवरी 2020 को चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) में 6865 करोड़ रूपए के बजटीय प्रावधान के साथ इस स्कीम का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया था। 10 हजार एफपीओ बनाने की नई स्कीम में कार्यान्वयन एजेंसियों को वर्ष 2020-21 के दौरान 2200 से अधिक एफपीओ उत्पादक क्लस्टरों का आवंटन किया गया है। एजेंसियों ने विभिन्न राज्यों जैसे कश्मीर, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में एफपीओ के पंजीयन कराए हैं एवं अन्य एफपीओ का भी पंजीकरण कार्य किया जा रहा है। ये एफपीओ सेब, बादाम, शहद, चाय, मूंगफली, कपास, सोयाबीन, अलसी, गन्ना, सब्जियों आदि से संबंधित है। इस पूरी योजना में किसानों एवं एफपीओ के लिए तकनीकी व वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान केंद्र सरकार द्वारा किया गया है। क्लस्टर आधारित व्यवसाय संगठनों द्वारा एफपीओ को 5 साल की अवधि के लिए व्यावसायिक हैंडहोल्डिंग समर्थन प्रदान किया जाएगा। तीन वर्षों के लिए एफपीओ के कर्मचारियों के वेतन, पंजीकरण, भवन किराया, उपयोगिता शुल्क, मामूली उपकरण लागत, यात्रा एवं अन्य खर्चों के लिए 18 लाख रूपए प्रति एफपीओ दिए जाएंगे। एफपीओ के प्रति किसान सदस्य को 2 हजाररू. (अधिकतम 15 लाख रू. प्रति एफपीओ) इक्विटी अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा। एफपीओ को 2 करोड़ रू. की बैंक योग्य परियोजना के लिए 75% तक क्रेडिट गारंटी कवर की सहायता प्रदान की जाएगी, जबकि 1 करोड़ रू. की बैंक योग्य परियोजना के लिए 85% तक क्रेडिट गारंटी कवर की सहायता प्रदान की जाएगी। एफपीओ स्कीम के लिए 6865 करोड़ रू. का बजट प्रावधान किया गया है। कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों से जुडी किसी भी जानकारी को तुरंत प्राप्त करने के लिए हमें फॉलो करें और अन्य किसान भाइयों को भी इस महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करें