गोबर के ईंट से बनेंगे मकान कई सालों तक आग व् पानी से सुरक्षित रहेंगे

गोबर से अब ईंट बनेगा और इसकी मजबूती कई सालों तक बरकरार रहेगी

दोस्तों आज हम कृषि वाणी किसान भाइयों और देशवाशियों आपके लिए बहुत ही अच्छी खबर ले कर आये हैं और आप इस खबर को पढ़ते के साथ उछल पड़ेंगे अब गाय के गोबर से बनेगा अब ईंट जिससे घर भी रहेगा सुरक्षित जी हाँ ये सच है अब किसान भाइयों के लिए भी अच्छी खबर है गोबर से अब ईंट बनेगा और इसकी मजबूती कई सालों तक बरकरार रहेगी और घर भी रहेगा ठंडा सबसे अच्छी बात ये है की इसकी मांग भी बढ़ गई है इस गोक्रीट से घर रहेगा मजबूत और 300 डिग्री सेंटीग्रेड से भी ऊपर तापमान इस गोबर से बने ईंट का कुछ नहीं बिगड़ेगा जी हाँ ये बात सच है और ऐसी पहल की शुरुआत हुई है और इसे शुरू करने वाले वयक्ति हरियाणा के रोहतक के निवासी रसायासनशास्त्री डॉ शिव दर्शन मलिक की यह खोज है और इसे रायपुर नगर निगम से जुडी संस्था पहल सेवा समिति ने प्रयोग में लाना शुरू किया है और संतोषी नगर स्थित नगर निगम के गोठान में गोबर से बने ईंटों का उत्पादन भी शुरू हो गया है इन ईंटो में अस्सी फीसदी में गोबर है बाकि बीस फीसदी में चुना,मिटटी,ग्वार ,निम्बू का रस और अन्य पदार्थ मिला कर बनाया गया है जिससे इसके अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित की गई है

प्रयोगशाला की जाँच -ये गोक्रीट बिना भट्टी और पानी के दस से बारह दिन में तैयार की जा रही है और हरियाणा के सोनीपत स्थित माइक्रो इंजीनियरिंग एन्ड टेस्टिंग लेबोरटरी से जांच करवाने के बाद इसकी गुणवत्ता और मजबूती पर विश्वास हो गया है जांच के दौरान तीन सौ से भी ऊपर सेंटी ग्रेड तापमान पर भी गोबर की ईंट सुरक्षित रहेगी और इसमें आग भी नहीं लगेगी गाय के गोबर से तैयार ईंट की ताकत 11 एमपीए(मेगा पास्कल) तक है जो सत्तर से अस्सी साल तक ख़राब नहीं होती कच्ची मिटटी के घरों की ताकत औसतन 0.5 एमपीए होती है तो लाल ईंट की ताकत औसतन 14 एमपीए होती है इसके साथ ही लाल ईंट की तरह यह तेजी से गर्म और ठंडी भी नहीं होती है ऐसे में गोबर की ईंट से बना घर भी ठंडा रहेगा और बिजली की भी बचत होगी और इसकी कीमत भी मिटटी के ईंट की अपेक्षा बहुत कम है

डॉ शिव दर्शन मलिक -इन दिनों बीकानेर स्थित वैदिक प्लास्टर एवं गोक्रीट अनुसन्धान केंद्र में अपने अनुसन्धान में लगे हुए हैं और वहां गोबर की ईंट से मकान का निर्माण भी हो चूका है डॉ मलिक के मुताबिक गाय के गोबर में प्रोटीन और फाइबर होता है जिससे प्रोटीन से मजबूती और फाइबर किसी भी वस्तु को जोड़ने में सबसे बेहतर काम करता है इसलिए सीधी भाषा में बोले तो ये ईंट इको फ्रेंडली भी है जिससे पर्यावरण के साथ साथ मिटटी के कटाव को भी रोक पाने में बहुत बड़ी सफलता होगी डॉ मलिक ने बताया की मिटटी ईंट बनाने के लिए मिटटी, पानी, कोयला ,  श्रम का सबसे ज्यादा उपयोग होता है जिसमें जल का सबसे ज्यादा प्रयोग के साथ कोयले के धुंए से वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है तो इसको देखते हुए हमने लगातार अनुसंधान किया है जिससे आज गाय के गोबर से ईंट बनाने में हमें सफलता मिल चुकी है अभी तक रोहतक में सात प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये जा चुके हैं जिनमें देश भर से 70 से भी अधिक लोग प्रशिक्षण ले कर गाय के गोबर से ईंट और मकान बनाना शुरू कर चुके हैं कई राज्यों में भी तो ईंटों का उत्पादन भी शुरू हो चूका है

तो दोस्तों ये तो थी एक छोटी सी जानकारी आगे अपने अगले अंक में हम आपको विस्तार से इसकी सभी प्रकिया को बताएँगे जिससे आप भी अपने किसान भाइयों को जो पशुपालक है या कुछ नवाचार करने में इच्छुक है तो हमसे कृषि वाणी से जुड़े रहें हम हमेशा आप तक तथ्य से सत्यापित करने के बाद ही पूरी जानकारी उपलब्ध करेंगे आप हमारे पुश नोटिफिकेशन बटन को क्लिक करें जिससे आपको हमारे द्वारा प्रकाशित सभी समाचार तुरंत मिल सके इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें

cow dung brickcow dung usesdairy farmersdr shiv darshan malikeco friendly brickgaay ke gobar se intkrishi vanisave soil