विश्व स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन एवं वर्षा का नियमित नहीं होना बहुत ही बड़ी चिंता का विषय बन रहा है ऐसे में जमीनी स्तर पर भी कई संस्थाओं द्वारा पर्यावरण के पुनरुथान के लिए भी कार्य किया जा रहा है जिससे इस समस्या का समाधान किया जा सके वैश्विक स्तर पर कई योजना शुरू कि गई है ऐसे में शहरों एवं किसानों के लिए पेयजल के साथ सिंचाई एक बहुत गंभीर समस्या बन रही है पर जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, भारत सरकार में सचिव यूपी सिंह ने वर्षा जल संग्रहण अभियान के विकेन्द्रीयकरण का आह्वान किया। उन्होंने ‘‘हर काम देश के नाम’’ पहल के तहत राष्ट्रीय जल मिशन (एनडब्ल्यूएम) द्वारा ‘‘कैच द रेनः जल संरक्षण के लिए वर्षा जल संग्रहण और कृत्रिम रिचार्ज ढांचों’’ पर आयोजित कार्यशाला के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि इस अभियान को रफ्तार देने के लिए आम जनता में जागरूकता फैलाने और भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए बारिश के पानी को उसी जगह जमा करने की योजना है जहां वह गिरती है, चाहे वह छत, हवाई अड्डा और उद्योग परिसर कोई भी जगह हो। उन्होंने कहा कि जिस तरह ‘‘प्रदूषण का समाधान उसे कम करना है’’ उसी तरह जल संरक्षण के लिए ‘‘बारिश को जमा करो, जहां वह गिरती है’’ का मंत्र कारगर होगा।
यूपी सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले मन की बात कार्यक्रम को इस विषय के लिए समर्पित किया था। इससे जल संरक्षण के लिए सरकार की प्राथमिकता का पता चलता है। भूमिगत जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए यूपी सिंह ने कहा कि देश के पांच बड़े बांध लगभग 250 अरब घन मीटर (बीसीएम) जल का संग्रह करते हैं, वहीं भूमिगत जलवाहिकाओं में लगभग 400 बीसीएम जल जमा है। उन्होंने कहा कि देश में 1000 मिलीमीटर बारिश होती है, हालांकि इसका वितरण सीमित है क्योंकि बारिश के सिर्फ 8 प्रतिशत पानी का ही इस्तेमाल हो पाता है और बाकी बेकार चला जाता है।
जल संसाधनों के प्रबंधन पर जोर देते हुए यूपी सिंह ने कहा कि अगर हम कृषि में जल की खपत में 10 प्रतिशत की बचत करने में कामयाब हो जाते हैं तो यह देश के लिए खासा अहम होगा क्योंकि देश में 85 – 89 प्रतिशत जल का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में ही होता है। इसके अलावा पेयजल और घरेलू उद्देश्यों के लिए सिर्फ 5 प्रतिशत पानी का ही इस्तेमाल होता है। जल स्रोतों के पुनरुद्धार के वास्ते जनांदोलन का आह्वान करते हुए यूपी सिंह ने कहा कि अभी तक मनरेगा संसाधनों और सीएसआर कोष के माध्यम से 500 से ज्यादा पारम्परिक जल स्रोतों को संरक्षित किया जा चुका है।
एनडब्ल्यूएन में अपर सचिव और मिशन निदेशक जी. अशोक कुमार ने कहा कि मानसून से पहले वर्षा जल संग्रहण ढांचों को तैयार करने के वास्ते राज्यों और हितधारकों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘‘कैच द रेन’’ अभियान शुरू किया गया है।
#गांव एक्सप्रेस टीम का आग्रह है कि आप भी अपने क्षेत्र में वर्षा जल संचयन कि शुरुआत करें और अन्य लोगों को भी जागरूक करें जिससे भविष्य में हमारे आने वाली पीढ़ियों को जल के संकट से सामना ना करना पड़े ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं जल संचयन के लिए अगर आप गांव एक्सप्रेस कि मुहीम से जुड़ना चाहते चाहते है तो आप हमारे ब्लॉग को फॉलो करें आने वाले समय में हम आपको जल संचयन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी और शेयर करेंगे जल संचयन एवं पर्यावरण के कुछ विशेषज्ञों कि राय भी शेयर करेंगे आप हमें कमेंट करके अपने क्षेत्रों में हो रहे किसी भी जानकारी को शेयर करना चाहते हैं तो हमें व्हाट्सप्प (+91-9560182260 ) करे आप कमेंट में भी अपना व्हाट्सप्प फ़ोन नंबर शेयर कर सकते हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में इस कार्य के लिए कुछ आर्थिक ओर तकनीकी सहायता ग्रामीणों को दी जाए तो ओर अधिक सफलता मिल सकती है