लीची के पेड़ों की देखभाल हेतु सलाह किसान भाइयों के लिए क्योँकि अब लीची के पेड़ोंमें मंजर लग जाते हैं तो पेड़ो के मजरों की ख़ास देखभाल करनी होती है तो आपको हम कृषि वाणी बताने जा रहे हैं की कैसे मंजर आ जाने के बाद पेड़ों की अच्छे से देखभाल करें और इस मौसम में पेड़ों पर लगने वाले किट सबसे मुख्य होते हैं जिनसे पेड़ों में लगने वाले मंजरों को काफी नुक्सान पहुँचता है ऐसे में कुछ जरूरी सलाह व् कीटों के बारे में बनाते जा रहे हैं जिससे किसान भाई सतर्क रहें व् पेड़ों के मजरों में ऐसी कोई भी समस्या नजर आये तो तुरंत उसका निदान करें
किट के बारे में जानकारी
लीची माईट इस किट के व्यस्क काफी छोटे होते हैं जो की पत्तियों के निचले भाग पर रहकर रस चूसते हैं जिससे इस किट के प्रकोप से पत्तियां सिकुड़ जाती है तथा मखमल की तरह भूरे रंग में बदल जाती है और अंत में सुख जाती है इसे इरिनियम के नाम से जाना जाता है और इस किट का प्रकोप मार्च से जुलाई तक रहता है इसलिए किसान भाइयों को इस किट से सुरक्षा के लिए इस्पे विशेष निगरानी रखने की जरूरत है आरा किसान भाई को ऐसे कही भी पेड़ों पर नजर आते हैं तो किट ग्रस्त टहनी और पत्तों को तोड़ कर जला देने की जरूरत है और रासायनिक द्वायाओं का अगर छिड़काव करते हैं तो सल्फर ८० प्रतिशत ghulanshil churn का ३ ग्राम या डाइकोफाल १८.५ प्रतिशत इ सी या इथिऑन ५० प्रतिशत इ सी का २ मिली या प्रॉपर जाईट ५७ प्रतिशत का ghol बना कर छिड़काव करें तथा ज्यादा जानकारी के लिए अपने नजदीक के कृषि विज्ञानं केंद्र में भी संपर्क करें
लीची का दहिया किट इस किट शिशु एवं मादा लीची के पौधों के कोशिकाओं का रस चूस लेते हैं जिसके कारण लीची के मुलायम तना और मंजर सुख जाते हैं और फल नहीं लगते हैं इस किट का सबसे ज्यादा प्रकोप पेड़ों के मुलायम बढ़ते हुए तनो पर होता है जिससे पौधों की बढ़वार रुक जाती है और उसके ऊपर काळा रंग की फफूंद निकल जाती है जो पौधों के प्रकाश संश्लेषण क्रिया को प्रभावित करते हैं
लीची स्टिंक बग इस किट का जीवन चक्र अगस्त से फरबरी तक होता है और इस किट के प्रकोप से पूरी फसल सीजन तक सभी किस्मों के लीची को काफी क्षति करता है और सबसे मुख्य पौधों के कोमल अंगो को सबसे ज्यादा नुक्सान पहुँचता है इस किट की पहचान ईंट के लाल गहरे रंग की तरह होते हैं और उन सभी कोमल कोशिकाओं का रस चूस लेता है जिससे होने वाले फलों को काफी नुक्सान का सामना करना पड़ता है
किसान भाइयों अगर आपको ऐसी कोई भी किट अपने पेड़ों पर नजर आती है तो आप अपने नजदीक के कृषि विज्ञानं केंद्र में भी जा कर वैज्ञानिकों से फसल सुरक्षा की जानकारी ले सकते हैं जिससे समय रहते पेड़ों और उसमें लगने वाले फलों की सुरक्षा की जा सके