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सरकार स्वदेशी कच्चे माल से उर्वरक का उत्पादन शुरू करेगी

भारत में रॉक फॉस्फेटिक के भंडार का पता लगाने में तेजी

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भारत के किसानो के लिए अब उर्वरक की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए भारत में ही उर्वरक के उत्पादन के लिए कच्चे उत्पादों की जरूरतों के पूर्ति के लिए खोज कार्य शुरू हो चूका है ऐसे में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, मनसुख मंडाविया ने उर्वरकों के उत्पादन के लिए देश में कच्चे माल की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए  एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।

इस बैठक में रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री,  भगवंत खुबा के साथ-साथ रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, खान मंत्रालय, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर और मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

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बैठक को संबोधित करते हुए  मनसुख मंडाविया ने कहा कि उर्वरक आयात में निर्भरता में कमी लाने के लिए और सभी उर्वरकों में ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी द्वारा सभी क्षेत्रों में ‘आत्मनिर्भऱ भारत’ बनने का आह्वान किया गया है। उर्वरक उत्पादन में ‘आत्मनिर्भरता’ का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय लगातार काम कर रहा है और नए रास्तों की तलाश कर रहा है।

उन्होंने कहा कि “इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें स्वदेशी कच्चे माल के माध्यम से उर्वरकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए ध्यान केंद्रित करना होगा। वर्तमान समय में हम डीएपी और एसएसपी का उत्पादन करने हेतु कच्चे माल के लिए मुख्य रूप से अन्य देशों पर निर्भर करते हैं। 21वीं सदी के भारत को आयात पर अपनी निर्भरता में कमी लाने की आवश्यकता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, हमें रॉक फॉस्फेटिक और पोटाश के स्वदेशी भंडारों का पता लगाना होगा और इसे डीएपी, एसएसपी, एनपीके और एमओपी का उत्पादन करने के लिए स्वदेशी उद्योगों को उपलब्ध कराना होगा जिससे भारतीय किसानों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।”

उन्होंने कहा कि यहां पर यह उल्लेख करना आवश्यक है कि रॉक फॉस्फेटिक डीएपी और एनपीके उर्वरकों के लिए प्रमुख कच्चा माल है। वर्तमान समय में इस कच्चे माल के लिए आयात पर भारत की निर्भरता 90% है। इसकी अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में अस्थिरता होने से उर्वरकों की घरेलू कीमतें प्रभावित होती हैं। यह देश में कृषि क्षेत्र की प्रगति और विकास में बाधा डालती है साथ ही हमारे किसानों पर अतिरिक्त बोझ डालती है।

मंडाविया ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार एक कार्य योजना के साथ तैयार है और उर्वरक बनाने में उपयोग होने वाले खनिज संसाधनों के भंडार वाले राज्यों के साथ सार्थक बातचीत और विचार-विमर्श की शुरुआत करने जा रही है। श्री मंडाविया ने फॉस्फोराइट भंडारों के वाणिज्यिक पर्यवेक्षण के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने मौजूदा 30 लाख मीट्रिक टन फॉस्फोराइट भंडार में उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में सभी आवश्यक कदम उठाने की बात की। विभिन्न राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा 536 मिलियन टन उर्वरक खनिज संसाधन सौंपे गए हैं। ये भंडार राजस्थान, प्रायद्वीपीय भारत के मध्य भाग, हीरापुर (मध्य प्रदेश), ललितपुर (उत्तर प्रदेश), मसूरी सिंकलाइन, कडप्पा बेसिन (आंध्र प्रदेश) में मौजूद हैं। यह भी निर्णय लिया गया कि भारतीय खनन एवं भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा राजस्थान के सतीपुरा, भरूसारी और लखासर और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में संभावित पोटाश अयस्क संसाधनों की खोज में तेजी लाया जाएगा।

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