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“बी वोकल फॉर लोकल बाइ ट्राइबल” ट्राइफेड के लिए एक मिशन

वन धन विकास केंद्रो का देश भर में प्रचालन शुरू

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कोविड-19 के इन चुनौतीपूर्ण समय के दौरान, देश भर में जनजातीय लोगों को स्वास्थ्य की सुरक्षा के साथ आजीविका प्रदान करना, आदिवासी कल्याण और आजीविका के लिए काम करने वाली नोडल एजेंसी ट्राइफेड के लिए और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, ट्राइफेड आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए कई उल्लेखनीय पहलों को लागू कर रहा है।  ट्राइफेड ने विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संसद सदस्यों के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया ताकि उनके कार्यान्वयन में तेजी लाई जा सके और इन योजनाओं के तहत पूरे देश में जनजातीय समुदायों को व्यापक रूप से शामिल किया जा सकता है। वेबिनार में केंद्रीय राज्य मंत्री, इस्पात मंत्रालय,  फग्गन सिंह, पूर्व जनजातीय कार्य मंत्री   जुएल ओराम;   बिस्वेश्वर टुडू और  . लोरहो फौजे सहित 30 से अधिक आदिवासी सांसदों ने भाग लिया।

वन उपज-एमएफपी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी और वन धन विकास योजना के बारे में एक व्यापक प्रस्तुति को शामिल किया गया है। प्रस्तुति और चर्चा के दौरान, जनजातीय अर्थव्यवस्था में लघु वनोपज के महत्व और सरकार ने एमएफपी के नेतृत्व वाले जनजातीय विकास का एक समग्र मॉडल कैसे तैयार किया है और इसके लिए कई योजनाएं बनाई हैं, इस पर चर्चा की गई। वेबिनार में इस बारे में भी विस्तार से बताया कि पिछले कुछ वर्षों में, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वनोपज (एमएफपी) के विपणन के लिए संशोधित तंत्र और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला के विकास ने आदिवासी ईकोसिस्टम को कैसे प्रभावित किया है और सरकार द्वारा सहायता प्राप्त की है। इसने आदिवासी अर्थव्यवस्था में करोड़ों रुपये का का निवेश किया है। वन धन आदिवासी स्टार्ट-अप, आदिवासी संग्रहकर्ताओं और वनवासियों और आदिवासी कारीगरों के लिए रोजगार सृजन के स्रोत के रूप में उभरा है।

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खासकर महामारी के दौरान यह योजना अलग थलग पड़े लोगों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हुई है। पिछले 18 महीनों में, वन धन विकास योजना ने पूरे भारत में राज्य नोडल और कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा त्वरित और मजबूत कार्यान्वयन के साथ सहायता से जबरदस्त सफलता प्राप्त की है। 80 प्रतिशत स्थापित वन धन विकास केंद्र-वीडीवीके के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र अग्रणी है। इस योजना को अपनाने वाले महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश अन्य ऐसे राज्य हैं जहां इस योजना को जबरदस्त सफलता के साथ आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं।

इसके अलावा, इस योजना के सबसे बडा परिणाम यह रहा है कि यह योजना बाजार संपर्क बनाने में सफल रही है। इन वन धन विकास केंद्रो का देश भर में प्रचालन शुरू हो गया है। इन वन धन विकास केंद्रो से उत्पादों की 500 से अधिक किस्मों का मूल्य संवर्धन, पैकेज और विपणन किया जा रहा है। इनमें फ्रूट कैंडी (आंवला, अनानास, जंगली सेब, अदरक, अंजीर, इमली), जैम (अनानास, आंवला, बेर), जूस और स्क्वैश (अनानास, आंवला, जंगली सेब, बेर, बर्मी अंगूर) से लेकर मसाले (दालचीनी, हल्दी, अदरक), अचार (बांस शूट, किंग चिली), प्रसंस्कृत गिलोय जैसे उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, और सभी की बाजार में पहुंच बन गई है। यह देश के जनजातीय समूहों द्वारा उत्पादित हथकरघा और हस्तशिल्प की 25,000 किस्मों के अतिरिक्त है। इन सभी की मार्केटिंग वेबसाइट- ट्राइब्स इंडिया डॉट कॉम पर और देश भर में 137 ट्राइब्स ईंडिया की दुकानो के माध्यम से की जा रही है।

वेबिनार के दौरान, ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक  प्रवीर कृष्ण ने “आत्मनिर्भर भारत” बनाने के लिए “बी वोकल फॉर लोकल बाइ ट्राइबल” के बारे में बात की, जो अब ट्राइफेड के लिए एक मिशन बन गया है। यह “सबका साथ, सबका विकास” के सरकार के मार्गदर्शक सिद्धांत और आदिवासी उत्पादों के मूल्य संवर्धन और विपणन के माध्यम से उद्यम को बढ़ावा देने के लिए देश में 50,000 वीडीवीके स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री के संकल्प के अनुरूप है। यह मिशन मेरा वन, मेरा धन मेरा उद्यम के संदेश पर केंद्रित होगा। ट्राइफेड वन धन मोड से आदिवासी उद्यम मोड में परिवर्तन पर काम कर रहा है। इन वन धन विकास केंद्रों को वन धन समूहों और उद्यमों में समूहित करने का उद्देश्य बडे पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं को प्राप्त करना और उच्च मूल्य वर्धित उत्पाद को बढ़ावा देना है।

वन धन विकास केंद्र समूहों को संस्थागत रूप से स्थापित करने के लिए, ट्राइफेड विभिन्न मंत्रालयों और संगठनों के साथ मिल कर कार्य कर रहा है। इन मंत्रालयों के समान कार्यक्रमों के साथ योजना को संरेखित करने के लिए एमएसएमई, एमओएफपीआई और ग्रामीण विकास मंत्रालय जैसे विभिन्न मंत्रालयों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप वन धन विकास केंद्रों और इसके समूहों को स्फुर्ति (एसएफयूआरटीआई), एमएसएमई से ईएसडीपी, फूड पार्क के साथ ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत एमओएफपीआई और एनआरएलएम की योजना में शामिल कर दिया गया है।

इस विस्तृत सारांश और सूचना प्रसार सत्र के बाद,  कृष्णा ने योजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए संसद सदस्यों के नेतृत्व, संरक्षण और समर्थन के लिए अनुरोध किया। इसके बाद एक संवाद सत्र हुआ जिसमें सांसदों की टिप्पणियों और प्रश्नों को संबोधित किया गया। उनके बहुमूल्य सुझावों को भविष्य के संदर्भ और कार्यान्वयन के लिए भी नोट किया गया। सांसदों ने योजनाओं को लागू करने में ट्राइफेड टीम के प्रयासों और आदिवासी क्षेत्रों में देखी गई प्रगति की सराहना की।

कृष्णा ने प्रतिभागियों को आश्वासन दिया कि ट्राइफेड की टीम उनके साथ नियमित बैठक करेगी और इन योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए उनसे संपर्क जारी रखेगी।

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