- Sponsored -

- Sponsored -

बांस उद्योग 30,000 करोड़ रुपए तक बढ़ने का अनुमान

बाँस की माँग बढ़ाने की आवश्यकता

2,570

देश में बांस की खेती कर रहे किसान भाइयों के लिए अब और भी सुनहरा मौका आ रहा है है जी हां हम कृषि वाणी आपको बताने जा रहे हैं कि राष्ट्रिय राजमार्ग एवं ( एम एस एम ई)सूक्षम , लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि बांस उद्योग में 30,000 करोड़ रुपए तक बढ़ने का अनुमान है साथ ही बांस के अधिक से अधिक प्रयोग करने की अपील कि साथ ही किसानो को इसकी खेती के लिए प्रोत्सान मिले जिससे इसकी मांग के अनुसार पूर्ति की जा सके सड़क परिवहन और राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बांस पर प्रौद्योगिकी, उत्पाद और सेवाओं पर एक वर्चुअल प्रदर्शनी को संबोधित किया। प्रदर्शनी का आयोजन इंडियन फेडरेशन ऑफ ग्रीन एनर्जी (आईएफजीई) द्वारा किया गया।
अपने संबोधन में गडकरी ने कहा कि बाँस की माँग बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोयले के विकल्प के रूप में बांस का उपयोग करने की विकल्प है और इसका उपयोग निर्माण कार्यों में भी किया जा सकता है। गडकरी ने कहा कि जल्द ही सभी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की सड़कों के लिए जूट और कॉयर मैट्रेसेज का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा। उन्होंने जूट, कॉयर और बांस जैसी पारंपरिक सामग्रियों के और अधिक विकास की वकालत की।

गडकरी ने उम्मीद जताई कि सभी हितधारकों के एकीकृत प्रयासों से भारत में बांस उद्योग 25-30 हजार करोड़ रुपये का हो जाएगा। सैद्धांतिक रूप से सिद्ध, लागत प्रभावी और आकर्षक उत्पाद डिजाइनों से बांस का उपयोग और इसकी मांग बढ़ सकती है जिससे लोगों को बांस रोपण का भी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने बांस को बढ़ावा देने से संबंधित किसी भी योजना के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय से सभी सहायता का आश्वासन दिया।

- Sponsored -

मंत्री ने कहा कि हमें उत्पाद विकास, बाजार समर्थन के लिए अधिक शोध, अधिक उपयुक्त दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह बांस और बांस के डंडे के लिए रेलवे से 50 फीसदी सब्सिडी लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बांस के उपयोग और आवश्यकता को बढ़ाने से इसके रोपण में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि बांस का इस्तेमाल बायो-सीएनजी और चारकोल बनाने के लिए भी किया जा सकता है और आईआईटी को बांस मिशन के विशेष अनुदानों की मदद से इस पर आगे अनुसंधान करने के लिए शामिल किया जा सकता है।

किसान भाइयों आप इस मुख्य जानकारी को अपने किसान दोस्तों तक भी जरूर शेयर करें जिससे वो भी अपने खाली जमीनों का प्रयोग वो बांस कि खेती करने में उपयोग कर सके आप हमसे कृषि वाणी से जुड़ने के लिए हमारे पुश नोटिफिकेशन बटन को क्लिक करें जिससे आपको नए समाचार कि जानकारी तुरंत मिल सके आप हमें कमेंट बॉक्स में भी अपनी राय भेज सकते हैं या ऐसी कोई भी जानकारी जो आप भारत के सभी किसान भाइयों तक पहुंचना चाहते हैं हमें कमेंट बॉक्स में अपना नंबर भेजें जिससे हमारी टीम आपसे जल्द सम्पर्क करेगी या किसी भी राज्य से आप जुड़ना चाहते हैं तो जल्द ही आपके लिए हम अपनी सभी सभी नियमों का पालन करते हुए आपके साथ जुड़ेंगे

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.