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दुग्ध दिवस पर एपीडा द्वारा आयोजित वेबिनार में क्या रहा खास पढ़ें

एपीडा ने एक वेबिनार सह संवाद सत्र का आयोजन किया।

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विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर आज एपीडा ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (एमएफएएचडी) के सहयोग से देश से डेयरी उत्पादों के निर्यात की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने की संभावनाओं पर एक वेबिनार सह संवाद सत्र का आयोजन किया। वेबिनार में मुख्य भाषण देते हुए एमएफएएचडी के सचिव  अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि भारत दूध के उत्पादन में आत्मनिर्भर है और निर्यात के लिए पर्याप्त मात्रा में अतिरिक्त दूध भी उसके पास उपलब्ध है। इस मौके पर उन्होंने डेयरी उत्पादों में उत्पादन और निर्यात वृद्धि में हुई प्रगति को भी साझा किया।

चतुर्वेदी ने यह भी उल्लेख किया कि कोविड-19 ने हमें एक सबक सिखाया है कि रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने में डेयरी उत्पाद बेहद उपयोगी हैं। ऐसे में उस वर्ग के लिए ऐसे उत्पादों की बड़ी आवश्यकता है जो गुणवत्ता वाले उत्पाद के लिए किसी भी कीमत का भुगतान करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने पशुपालन और डेयरी विभाग की योजनाओं और कार्यक्रमों जैसे राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय पशुधन मिशन, पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण और पशुपालन अवसंरचना विकास कोष आदि का भी उल्लेख किया।

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चतुर्वेदी ने टीकाकरण के माध्यम से पशुधन की स्वास्थ्य आवश्यकताओं पर जोर देते हुए कहा कि पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा केंद्रीय योजना के तहत शुरू किया गया था। वेबिनार में उन्होंने कहा, “इन कदमों के जरिए हम 2025 तक टीकाकरण और 2030 तक बिना टीकाकरण के जरिए भारत को जानवरों में होने वाले मुंहपका और खुरपका बीमारी से मुक्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।

पशुओं में गुणवत्ता वाले चारे और पोषक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करने और उनके बारे में जानकारी लेने के लिए पशुआधार का इस्तेमाल किया जा रहा है। एमएफएएचडी के पास आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) के जरिए बुनियादी ढांचे के विकास की योजना है। इसके अलावा उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और कंपनियों को डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन इंफ्रास्ट्रक्चर और पशु चारा संयंत्र की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिससे वह इन क्षेत्रों में निवेश कर सके।

एमएफएएचडी की संयुक्त सचिव डॉ. वर्षा जोशी ने कहा कि डेयरी निर्यातकों के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डेयरी उद्यमियों की सहायता के लिए एक निवेश प्रोत्साहन डेस्क की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि डेयरी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एपीडा के सहयोग से इसके बाजार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम. अंगमुथु ने कहा कि एफपीओ, डेयरी किसान या सहकारी समितियों को डेयरी उत्पादों का सीधे निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित करने का समय आ गया है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के कार्यकारी निदेशक  मीनेश सी शाह ने भी भारत में डेयरी क्षेत्र के समग्र परिदृश्य पर अपने विचार साझा किए।

निर्यातकों की ओर से गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) जिसे अमूल के नाम से भी जाना जाता है के प्रबंध निदेशक डॉ. आरएस सोढ़ी ने निर्यात में आने वाली बाधाओं यानी चीन, यूरोपीय संघ, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको के बाजार में पहुंच के मुद्दों को साझा किया। सोढ़ी ने कहा कि दक्षेस और पड़ोसी देश जैसे बांग्लादेश (35 प्रतिशत) और पाकिस्तान (45 प्रतिशत) द्वारा उच्च आयात शुल्क लगाया जाता है। सोढ़ी ने यह भी कहा कि प्रमुख आयातक देशों ने भारत के डेयरी उत्पादों पर बहुत अधिक आयात शुल्क लगाया है।

 

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